गिलोय पान के पत्ते कि तरह की एक त्रिदोष नाशक श्रेष्ट बहुवर्षिय औषधिये बेल होती है। अमृत के गुणों वाली गिलोय की बेल लगभाग भारत वर्ष के हर गाँव शहर बाग़ बगीचे में और वन उपवन में बहुतायत से पायी जाती है यह मैदानों, सड़कों के किनारे, जंगल, पार्क, बाग-बगीचों, पेड़ों-झाड़ियों और दीवारों पर लिपटी हुई दिखाई दे जाती है। नीम पर चढ़ी गिलोय में सब से अधिक औषधीय गुण पाए जाते हैं, नीम पर चढी हुई गिलोय नीम का गुण अवशोषित कर लेती है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फासफोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। यह वात, कफ और पित्त का शमन करती है। गिलोय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। गिलोय एक श्रेष्ट एंटीबायटिक एंटी वायरल और एंटीएजिड भी होती है। यदि गिलोय को घी के साथ दिया जाए तो इसका विशेष लाभ होता है, शहद के साथ प्रयोग से कफ की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। प्रमेह के रोगियों को भी यह स्वस्थ करने में सहायक है। ज्वर के बाद इसका उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है। यह शरीर के त्रिदोषों (कफ ,वात और पित्) को संतुलित करती है और शरीर का कायाकल्प करने की क्षमता रखती है। गिलोय का उल्टी, बेहोशी, कफ, पीलिया, धातू विकार, सिफलिस, एलर्जी सहित अन्य त्वचा विकार, चर्म रोग, झाइयां, झुर्रियां, कमजोरी, गले के संक्रमण, खाँसी, छींक, विषम ज्वर नाशक, सुअर फ्लू, बर्ड फ्लू, टाइफायड, मलेरिया, कालाजार, डेंगू, पेट कृमि, पेट के रोग, सीने में जकड़न, शरीर का टूटना या दर्द, जोडों में दर्द, रक्त विकार, निम्न रक्तचाप, हृदय दौर्बल्य, क्षय (टीबी), लीवर, किडनी, मूत्र रोग, मधुमेह, रक्तशोधक, रोग पतिरोधक, गैस, बुढापा रोकने वाली, खांसी मिटाने वाली, भूख बढ़ाने वाली पाकृतिक औषधि के रूप में खूब प्रयोग होता है। गिलोय भूख बढ़ाती है, शरीर में इंसुलिन उत्पादन क्षमता बढ़ाती है। अमृता एक बहुत अच्छी उपयोगी मूत्रवर्धक एजेंट है जो कि गुर्दे की पथरी को दूर करने में मदद करता है और रक्त से रक्त यूरिया कम करता है। गिलोय रक्त शोधन करके शारीरिक दुर्बलता को भी दूर करती है। यह कफ को छांटता है। धातु को पुष्ट करता है। ह्रदय को मजबूत करती है। इसे चूर्ण, छाल, रस और काढ़े के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसके तने को कच्चा भी चबाया जा सकता है।
- गिलोय एक रसायन है,
यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग
नाशक ,शोधनाशक और
लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और
जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती
है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।
- गिलोय के 6″
तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां
तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर
पीजिये। और इसके साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर
नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती। और
इसमें पपीता के 3-4 पत्तो का रस मिला कर लेने दिन में तीन चार लेने से रोगी
को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस
से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड
फ्लू में रामबाण होता है।
- गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना,
असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से
वात संतुलित होता है ।
- गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ
आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
- गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से
बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
- गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी
मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में
फायदा होगा।
- गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते
पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
- क्षय (टी .बी .) रोग में गिलोय सत्व, इलायची
तथा वंशलोचन को शहद के साथ लेने से लाभ होता है।
- गिलोय और पुनर्नवा का काढ़ा बना कर सेवन करने से कुछ
दिनों में मिर्गी रोग में फायदा दिखाई देगा।
- एक चम्मच गिलोय का चूर्ण खाण्ड या गुड के साथ खाने से
पित्त की बिमारियों में सुधार आता है और कब्ज दूर होती है।
- गिलोय रस में खाण्ड डालकर पीने से पित्त का बुखार ठीक
होता है। और गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से पित्त का बढ़ना
रुकता है।
- प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद गुड़
या मिश्री के साथ गिलोय का रस मिलकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी
दूर होती है।
- गिलोय ज्वर पीडि़तों के लिए अमृत है, गिलोय
का सेवन ज्वर के बाद टॉनिक
का काम करता है, शरीर
की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। शरीर में खून की
कमी (एनीमिया) को दूर करता है।
- फटी त्वचा के लिए गिलोय का तेल दूध में मिलाकर गर्म करके
ठंडा करें। इस तेल को फटी त्वचा पर लगाए वातरक्त दोष दूर होकर त्वचा
कोमल और साफ होती है।
- सुबह शाम गिलोय का दो तीन टेबल स्पून शर्बत पानी में
मिलाकर पीने से पसीने से आ रही बदबू का आना बंद हो जाता है।
- गिलोय के काढ़े को ब्राह्मी के साथ सेवन से दिल मजबूत
होता है, उन्माद या पागलपन दूर हो जाता है, गिलोय
याददाश्त को भी बढाती है।
- गिलोय का रस को नीम के पत्ते एवं आंवला के साथ मिलाकर
काढ़ा बना लें। प्रतिदिन 2
से 3
बार सेवन करे इससे हाथ पैरों और
शरीर की जलन दूर हो जाती
है।
- मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयो पर गिलोय के फलों को पीसकर लगाये
मुंहासे, फोड़े-फुंसियां और झाइयां दूर हो जाती है।
- गिलोय, धनिया, नीम की छाल,
पद्याख और लाल चंदन इन सब को समान
मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस को सुबह शाम सेवन करने से
सब प्रकार का ज्वर ठीक होता है।
- गिलोय, पीपल की जड़,
नीम की छाल, सफेद
चंदन, पीपल, बड़ी हरड़,
लौंग, सौंफ, कुटकी
और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण के एक चम्मच को रोगी को तथा आधा चम्मच छोटे बच्चे को पानी
के साथ सेवन करने से ज्वर में लाभ मिलता है।
- गिलोय, सोंठ, धनियां, चिरायता और मिश्री को सम अनुपात में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना कर रोजाना दिन में तीन बार एक चम्मच भर लेने से
बुखार में आराम मिलता है।
- गिलोय, कटेरी, सोंठ और अरण्ड की जड़ को समान मात्रा में लेकर काढ़ा
बनाकर पीने से वात के ज्वर (बुखार) में लाभ पहुंचाता है।
- गिलोय के रस में शहद मिलाकर चाटने से पुराना बुखार ठीक हो
जाता है। और गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें
इससे बारम्बार होने वाला बुखार ठीक होता है।गिलोय के रस में पीपल का चूर्ण और
शहद को मिलाकर लेने से जीर्ण-ज्वर तथा खांसी ठीक हो जाती है।
- गिलोय, सोंठ, कटेरी, पोहकरमूल और चिरायता को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सुबह और शाम सेवन करने से वात का ज्वर ठीक हो
जाता है।
- गिलोय और काली मिर्च का चूर्ण सम मात्रा में मिलाकर
गुनगुने पानी से सेवन करने से हृदयशूल में लाभ मिलता है। गिलोय के रस का
सेवन करने से दिल की कमजोरी दूर होती है और दिल के रोग ठीक होते हैं।
- गिलोय और त्रिफला चूर्ण को सुबह और शाम शहद के साथ चाटने
से मोटापा कम होता है और गिलोय,
हरड़, बहेड़ा, और
आंवला मिला कर काढ़ा बनाइये और इसमें
शिलाजीत मिलाकर और पकाइए इस का
नियमित सेवन से मोटापा रुक जाता है।
- गिलोय और नागरमोथा,
हरड को सम मात्रा में मिलाकर चूर्ण
बना कर चूर्ण शहद के साथ दिन में 2
– 3 बार सेवन करने से मोटापा घटने लगता
है।
- बराबर मात्रा में गिलोय,
बड़ा गोखरू और आंवला लेकर कूट-पीसकर
चूर्ण बना लें। इसका एक चम्मच चूर्ण प्रतिदिन मिश्री और घी के साथ
सेवन करने से संभोग शक्ति मजबूत होती है।
- अलसी और वशंलोचन समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, और
इसे गिलोय के रस तथा शहद के साथ हफ्ते –
दस दिन तक सेवन करे इससे वीर्य
गाढ़ा हो जाता है।
- लगभग 10 ग्राम गिलोय के रस में शहद और सेंधानमक (एक-एक ग्राम)
मिलाकर, इसे खूब उबाले फिर इसे ठण्डा करके आंखो में लगाएं
इससे नेत्र विकार ठीक हो
जाते हैं।
- गिलोय का रस आंवले के रस के साथ लेने से नेत्र रोगों में
आराम मिलता है।
- गिलोय के रस में त्रिफला को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसमें
पीपल का चूर्ण और शहद मिलकर सुबह-शाम सेवन करने से आंखों के रोग दूर हो
जाते हैं और आँखों की ज्योति बढ़ जाती हैं।
- गिलोय के पत्तों को हल्दी के साथ पीसकर खुजली वाले स्थान
पर लगाइए और सुबह-शाम गिलोय का रस शहद के साथ मिलाकर पीने से रक्त
विकार दूर होकर खुजली
से छुटकारा मिलता है।
- गिलोय के साथ अरण्डी के तेल का उपयोग करने से पेट
की गैस ठीक होती है।
- श्वेत प्रदर के लिए गिलोय तथा शतावरी का काढ़ा बनाकर पीने
से लाभ होता है।गिलोय के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से प्रमेह
के रोग में लाभ मिलता है।
- गिलोय के रस में मिश्री मिलाकर दिन में दो बार पीने से
गर्मी के कारण से आ रही उल्टी रूक जाती है। गिलोय के रस में शहद मिलाकर
दिन में दो तीन बार सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
- गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर ठण्डा करके पीने से उल्टी
बंद हो जाती है।
- 6 इंच
गिलोय का तना लेकर कुट कर काढ़ा बनाकर इसमे काली मिर्च का चुर्ण डालकर गरम
गरम पीने से साधारण जुकाम ठीक होगा।
- पित्त ज्वर के लिए गिलोय,
धनियां, नीम
की छाल, चंदन, कुटकी क्वाथ का सेवन लाभकारी है, यह
कफ के लिए भी फायदेमंद है।
- नजला, जुकाम खांसी,
बुखार के लिए गिलोय के पत्तों का
रस शहद मे मिलाकर दो तीन बार सेवन करने से लाभ होगा।
- 1 लीटर
उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2
चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन
दिन में तीन बार सेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता
है।
- गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को
पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और
बच्चे को स्वस्थ दूध
मिलता है।
- एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी
ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम
रोगों में लाभ मिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता
है।
- गिलोय का चूर्ण,
दूध के साथ दिन में 2-3 बार
सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
- गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर
पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
- या गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर
सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है।
- गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से
पेट का दर्द ठीक होता है।
- मट्ठे के साथ गिलोय का 1
चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से
बवासीर में लाभ होता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार
लगाइए एक-डेढ़ माह बाद
असर दिखाई देने लगेगा ।
- गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का
एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
- गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता
है। गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार
पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह
सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है।
- गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में
दिन में 2 बार
डालने से कान का मैल निकल जाता है।
और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना
करके इस रस को कान में डालने से
कान का दर्द ठीक होता है।
- गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन
करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट
लें फिर एक गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये इसे
सुबह-शाम पीयें प्रदर
रोग ठीक हो जाता है।
- गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह
कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का
सूखिया रोग जल्द ठीक होगा।
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